बुधवार, 4 मार्च 2015

शीघ्रपतन की बीमारी को नपुंसकता श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.....!

* सेक्स क्रिया में मानवों के बीच शीघ्रपतन नामक शब्द काफी अहमियत रखता है. यदि इस शब्द की शाब्दिक व्याख्या करें तो शीघ्र गिर जाने को शीघ्रपतन कहते हैं। लेकिन सेक्स के मामले में यह शब्द वीर्य के स्खलन के लिए, प्रयोग किया जाता है।

 * पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, स्त्री सहवास करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं।

* इस व्याधि का संबंध स्त्री से नहीं होता (क्योंकि स्त्रियों में स्खलन की क्रिया नहीं पायी जाती), यह पुरुष से ही होता है और यह व्याधि सिर्फ पुरुष को ही होती है। शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। वीर्यपात की अवधि स्तम्भनशक्ति पर निर्भर होती है और स्तम्भन शक्ति वीर्य के गाढ़ेपन और यौनांग की शक्ति पर निर्भर होती है।
* स्तम्भन शक्ति का अभाव होना #शीघ्रपतन है।

* बार-बार कामाग्नि की आंच (उष्णता) के प्रभाव से वीर्य पतला पड़ जाता है सो जल्दी निकल पड़ता है।

*  ऐसी स्थिति में #कामोत्तेजना का दबाव यौनांग सहन नहीं कर पाता और उत्तेजित होते ही वीर्यपात कर देता है। यह तो हुआ शारीरिक कारण, अब दूसरा कारण मानसिक होता है जो शीघ्रपतन की सबसे बड़ी वजह पाई गई है। एक और लेकिन कमजोर वजह और है वह है हस्तमैथुन. हस्तमैथुन करने वाला जल्दी से जल्दी वीर्यपात करके कामोत्तेजना को शान्त कर हलका होना चाहता है और यह शान्ति पा कर ही वह हलकेपन तथा क्षणिक आनन्द का अनुभव करता है। इसके अलावा अनियमित सम्भोग, अप्राकृतिक तरीके से वीर्यनाश व अनियमित खान-पान आदि।

* शीघ्रपतन की बीमारी को नपुंसकता श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह बीमारी पुरुषों की मानसिक हालत पर भी निर्भर रहती है। मूलरूप से देखा जाय तो 95 फीसदी शीघ्रपतन के मामले मानसिक हालत की वजह से होते हैं और इसके पीछे उनमें पाई जाने वाली सेक्स अज्ञानता व शीघ्रपतन को बीमारी व शीघ्रपतन से संबंधी बिज्ञापन होते हैं. कई बार तो इन विज्ञापनों से वीर्य स्खलन का समय इतना अधिक बता दिया जाता है जो मानव शक्ति से काफी परे होता है मसलन 20 मिनट से आधे घंटे तो कई बार इससे भी ज्यादा जबकि वर्तमान शोधों से पता चला है स्खलन का सामान्य समय तीन से चार मिनट का होता है.

* कई युवकों और पुरुषों को मूत्र के पहले या बाद में तथा शौच के लिए जोर लगाने पर धातु स्राव होता है या चिकने पानी जैसा पदार्थ किलता है, जिसमें चाशनी के तार की तरह लंबे तार बनते हैं। यह मूत्र प्रसेक पाश्वकीय ग्रंथि से निकलने वाला लसीला द्रव होता है, जो कामुक चिंतन करने पर बूंद-बूंद करके मूत्र मार्ग और स्त्री के योनि मार्ग से निकलता है, ताकि इन अंगों को चिकना कर सके। इसका एक ही इलाज है कि कामुकता और कामुक चिंतन कतई न करें। एक बात और पेशाब करते समय, पेशाब के साथ, पहले या बीच में चूने जैसा सफेद पदार्थ निकलता दिखाई देता है, वह वीर्य नहीं होता, बल्कि फास्फेट नामक एक तत्व होता है, जो अपच के कारण मूत्र मार्ग से निकलता है, पाचन क्रिया ठीक हो जाने व कब्ज खत्म हो जाने पर यह दिखाई नहीं देता है।

* धातु क्षीणता आज के अधिकांश युवकों की ज्वलंत समस्या है। कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है। दरअसल सेक्स के दौरान शीघ्रपतन होना एक सामान्य समस्या है। यह समस्या अधिकांशत: युवाओं के बीच कहते- सुनते देखा जा सकता है। एक अमेरिकी सर्वे के अनुसार दुनिया की 43 फीसदी महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरूष शीघ्रपतन की समस्या के शिकार हैं। हालांकि यह समस्या गर्भधारण या जनन के लिए बाधा उत्पन्न नहीं करती है, फिर भी यह एक स्वस्थ शरीर और अच्छे व्यक्ितत्व के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

* इस समस्या से ग्रसित व्यक्ित के स्वभाव में सबसे पहले परिवर्तन आता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि इस परेशानी की वजह से पीडि़त व्यक्ित का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अक्सर सिरदर्द जैसे शारीरिक समस्याओं से भी ग्रसित हो सकता है या कुछ समय के बाद सेक्स में अरूचि भी आ जाने की संभावना रहती है। इसके अलावा शारीरिक दुर्बलता भी हो सकती है।आज भी बहुत से लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जो लेते भी हैं वह इस समस्या को किसी के सामने रखने से डरते हैं। एक आकलन के अनुसार पुरूष का #संभोग समय औसतन तीन मिनट का होता है। कुछ लोग दस मिनट तक संभोगरत रहने के बाद खुद को इस समस्या से बाहर मानते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके बरक्स अगर आप एक दूसरे को संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं तो यह शीघ्रपतन माना जाता है। यह समस्या असाध्य नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके उपचार को लेकर लोगों में अनेक तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं।

*जबकि #सेक्स के कुछ तरीकों में परिवर्तन करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। सबसे पहले तो इस समस्या को भी एक आम शारीरिक परेशानी की तरह लें। सेक्स के दौरान चरम पर आने से पहले सेक्स के विधियों में बदलाव करें। मसलन आप मुखमैथुन, गुदामैथुन आदि की ओर रूख कर सकते हैं। इसके बाद भी अपनी अवस्थाओं को बदलते रहने का प्रयास करते रहें। सेक्स के दौरान कुछ देर तक लंबी सांस जरूर लें। यह प्रक्रिया शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करती है।

* आपको मालूम होना चाहिए कि एक बार के सेक्स में करीब 400 से 500 कैलोरी तक ऊर्जा की खपत होती है। इसलिए अगर संभव हो सके तो बीच-बीच में त्वरित ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थ जैसे ग्लूकोज, जूस, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपसी बातचीत भी आपको स्थायित्व दे सकता है।

* ध्यान रखें, संभोग के दौरान इशारे में बात न करके सहज रूप से बात करें।डर, असुरक्षा, छुपकर सेक्स, शारीरिक व मानसिक परेशानी भी इस समस्या का एक कारण हो सकती है। इसलिए इससे बचने का प्रयत्न करें। इसके अलावे कंडोम का इस्तेमाल भी इस समस्या के निजात के लिए सहायक हो सकता है। समस्या के गंभीर होने पर आप किसी अच्छे सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह ले सकते हैं।

* शीघ्रपतन से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपने दिमाग से यह निकाल दें कि आप शीघ्रपतन के शिकार हैं और शीघ्रपतन कोई बीमारी है. शुरुआती दौर में अस्सी फीसदी लोग संभोग के दौरान शीघ्रपतन का शिकार होते है. इसलिये इसे बीमारी के रूप में न लें न ही विज्ञापनों से भ्रमित हों.

कुछ येसे प्रयोग दे रहा हूँ जो शीघ्रपतन पे कुछ हद तक अंकुश लगा सकता है और आपको देर तक न स्खलित होने की सीमा को बढ़ा सकता है :-----------------------------------

 * श्वेत कंटकारी के पंचांग को सुखाकर पाउडर बना लें तथा स्त्री में मासिक धर्म के ५ वें दिन से लगातार तीन दिन प्रातः एक बार दूध से दें एवं पुरुष को : अश्वगंधा 10 ग्राम, शतावरी 10 ग्राम, विधारा 10 ग्राम, तालमखाना 5 ग्राम, तालमिश्री 5 ग्राम सब मिलकर 2 चम्मच दूध के साथ प्रातः सायं लेने पर निश्चित लाभ होता है।

* स्त्री में "फलघृत" नामक आयुर्वेदिक औषधि भी इनफरटीलीटी को दूर करता है।

* पलाश के पेड़ की एक लम्बी जड़ में लगभग 250 एम.एल. की एक शीशी लगाकर, इसे जमीन में दबा दें, एक सप्ताह बाद इसे निकाल लें, अब इसमें इकठ्ठा होने वाला निर्यास द्रव प्रातः पुरुष को एक चम्मच शहद से दें। यह शुक्रानुजनित कमजोरी (ओलिगोस्पर्मीया) को दूर करने में मददगार होता है।

* अश्वगंधा 1.5 ग्राम. शतावरी 1.5 ग्राम, सफ़ेद मुसली 1.5 ग्राम एवं कौंच बीज चूर्ण को 75 मिलीग्राम की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से भी नपुंसकता दूर होकर कामशक्ति बढ़ जाती है।

* शिलाजीत का 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित सेवन भी मधुमेह आदि के कारण आयी नपुंसकता को दूर करता है।

शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:-<<<<<<<<<>>>>>>>>>>

* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है नपुंसकता:--<<<<>>>>

* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

* किसी भी औषधि विक्रेता से आप सौ ग्राम बडे गोखरू ले लीजिये, दस से बीस रपये के बीच मिल जायेंगे, यदि न मिलें तो ये गाँव इत्यादि में भरपूर रूप से मिलते हैं, बस वो सुखाने पड़ेंगे, वैसे औषधि विक्रेता से मिल जायेंगे अवश्य ही.....!

* अब आप इन सौ ग्राम गोखरू को साफ़ कर लें, झाड़ लें कपडे से, ताकि मिट्टी न बचे, आप धो भी सकते हैं, अब इनको पीस लीजिये, चाहे तो मिक्सर में ही पीस लीजिये, जब बारीक चूर्ण की तरह से हो जाएँ, तो एक तवे पर चार चम्मच चायवाले भरकर देसी घी खौला लीजिये, और इन पिसे हुए गोखरू में डाल लीजिये, जब घी ठंडा हो जाए तो अब इस घी को मिला लीजिये इस चूर्ण में, और किसी डिब्बे में रख लीजिये, अब रोज रात को आधा चम्मच ये लीजिये, और आधा कप गुनगुने दूध के साथ इसका सेवन करें, सोने से पहले, एक हफ्ते में अपनी रंगत और ताक़त देखिये! दाम्पत्य जीवन में जो लम्हों का होता था, अब दस गुना बढ़ जाएगा! शरीर में ताक़त, चेहरे में कांति, अलसायापन ख़तम, स्फूर्ति, चुस्ती और चहकने लगोगे....

उम्र भले ही कोई हो......! करके देखिये........! ये वाजीकारक का एक अहम् नुस्खा है.....!लाभ मिले तो धन्यवाद कहिये.......!बिना नागा, अर्थात कोई भी दिन खाली न जाए......! अब चाहे व्रत हो अथवा स्वास्थय ही खराब हो.......!

केवल रात को ही ले जब तक आप का दिल करे तब तक सेवन करेँ...!

* गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है। नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें। पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।

* इसके अलावा गोखरू का चूर्ण, आंवले का चूर्ण, नीम और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस बने हुए चूर्ण को रसायन चूर्ण कहा जाता है। इस चूर्ण को रोजाना 3 बार 1-1 चम्मच की मात्रा में दूध या ताजे पानी के साथ लेने से नपुंसकता, संभोग करने की इच्छा न करना, वीर्य की कमी होना, प्रमेह, प्रदर और मूत्रकृच्छ जैसे रोगों में लाभ होता है।

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